Thursday, December 25, 2008

अपने विचारो को कविता कह नही सकता
क्योंकि यह तो एक प्रवाह है जो बहता है एक झरने की तरह
अपनी राह ख़ुद बनाता हुवा
कोई सीमा नही कोई बंधन नही
बस बहना ही जिसका धर्म है
मेरे विचार ही मेरी भावनाए है
जो देखता हु महसूस करता हु
लिख देता हु
पदकर लगता है
ये मेरे वक़्तितव का आइना ही तो है
जो खोलकर रख देता है
मुझको मेरे ही सामने...........................

Friday, December 19, 2008

रिश्ते

क्यो जरूरी होता है ,
रिश्तों को कोई नाम देना
बेनाम रिश्तों की भी अहमियत होती है
क्योंकि अक्सर खूबसूरती लिए हुवे
सम्पूर्णता मे डुबे रिश्ते बेनाम ही होते है
मेरी पहली कविता जो मुझे रिश्तों को नाम से नही दिल से होने का अहसास कराती है