मंजिल को पाने की चाह में
चलता रहा हु हरदम
बिना रुके बिना लिए दम
पर मंजिल है की मिलती नही .......
सोचता हु अब, जब
थक गया हु चलते चलते
क्यों भूल गया था
रास्ते के पदावो को
जो छोटी ही सही पर खुशिया तो देते है
कितने ही पड़ाव छुट गए
मंजिल रूपी बड़ी खुशी को पाने के लिए
काश पहले ही समझ पता मंजिल तो मेरी मंजिल नही थी
रास्ते का हर पड़ाव कर रहा था मेरा इंतज़ार
लुटाने के लिए हजारो खुशिया
जिन्हें me मे पाकर भी ना पा सका
मेरा मन जाने क्यो भागता रहा
झूटी मंजिल की तलाश me
apno को छोड़कर तनहा अकेला.........
जबकि रास्ते me थे कई हाथ
हमसफ़र बन्ने को तैयार ..........
छुट गए कितने
अपने इस मृगतृष्णा की तलाश me ................................
Sunday, February 15, 2009
प्यार का दिन
प्रेम का इज़हार
क्यों बेबस है किसी दिन के लिये
यह तो मोजूद रहता है हर पल के लिये
जब इज़हार करना मुश्किल होता है
तो यह समझ लेना चाहिए
की यह नही बना है आप के लिये
प्रेम तो अपना एहसास ख़ुद ही करा देता है
यह करता नही इन्तेजार
इज़हार,इकरार ,पल या किसी दिन के लिये
स्वयं दिला देता है एहसास अपने होने का
क्यों बेबस है किसी दिन के लिये
यह तो मोजूद रहता है हर पल के लिये
जब इज़हार करना मुश्किल होता है
तो यह समझ लेना चाहिए
की यह नही बना है आप के लिये
प्रेम तो अपना एहसास ख़ुद ही करा देता है
यह करता नही इन्तेजार
इज़हार,इकरार ,पल या किसी दिन के लिये
स्वयं दिला देता है एहसास अपने होने का
Thursday, December 25, 2008
अपने विचारो को कविता कह नही सकता
क्योंकि यह तो एक प्रवाह है जो बहता है एक झरने की तरह
अपनी राह ख़ुद बनाता हुवा
कोई सीमा नही कोई बंधन नही
बस बहना ही जिसका धर्म है
मेरे विचार ही मेरी भावनाए है
जो देखता हु महसूस करता हु
लिख देता हु
पदकर लगता है
ये मेरे वक़्तितव का आइना ही तो है
जो खोलकर रख देता है
मुझको मेरे ही सामने...........................
क्योंकि यह तो एक प्रवाह है जो बहता है एक झरने की तरह
अपनी राह ख़ुद बनाता हुवा
कोई सीमा नही कोई बंधन नही
बस बहना ही जिसका धर्म है
मेरे विचार ही मेरी भावनाए है
जो देखता हु महसूस करता हु
लिख देता हु
पदकर लगता है
ये मेरे वक़्तितव का आइना ही तो है
जो खोलकर रख देता है
मुझको मेरे ही सामने...........................
Friday, December 19, 2008
रिश्ते
क्यो जरूरी होता है ,
रिश्तों को कोई नाम देना
बेनाम रिश्तों की भी अहमियत होती है
क्योंकि अक्सर खूबसूरती लिए हुवे
सम्पूर्णता मे डुबे रिश्ते बेनाम ही होते है
मेरी पहली कविता जो मुझे रिश्तों को नाम से नही दिल से होने का अहसास कराती है
रिश्तों को कोई नाम देना
बेनाम रिश्तों की भी अहमियत होती है
क्योंकि अक्सर खूबसूरती लिए हुवे
सम्पूर्णता मे डुबे रिश्ते बेनाम ही होते है
मेरी पहली कविता जो मुझे रिश्तों को नाम से नही दिल से होने का अहसास कराती है
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